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[[Category:बाल-कविताएँ]]
 
 
'''14-चीं–चीं चिड़िया'''
 
 
उड़ी डाल से चीं–चीं चिड़िया
 
उड़कर फिर पहुँची बाज़ार
 
कल्लू हलवाई से बोली
 
लड्डू दे दो मुझको चार
 
कल्लू करता आनाकानी
 
चिड़िया करती है तकरार
 
ची-ची चिड़िया उड़कर बोली
 
कल्लू के लड्डू बेकार
 
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'''15-नाव बनाई'''
 
 
इक पत्ते की नाव बनाई
 
उसमे बैठी चींटी ताई
 
लगी तैरने मौज मनाने
 
जोर-जोर से हँसने गाने
 
फिर पहुँची वह बीच समन्दर
 
मोती पाए झाँका अंदर
 
उसने अपनी भर ली झोली
 
खाई हजमोले की गोली
 
अब थी चींटी नहीं अकेली
 
मछली उसकी बनी सहेली
 
मोड़ी उसने अपनी कश्ती
 
आकर पहुँची अपनी बस्ती
 
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'''16-फैशन का जाल'''
 
 
अब चुहिया ने सुंदर-सुंदर
 
सूट सिलाया लाल
 
ठुमक-ठुमक कर चलती है वह
 
ऊँची सैंडिल डाल
 
गिरी फिसल के बीच सड़क पर
 
बड़ा बुरा था हाल
 
अब समझी वह बड़ा बुरा है
 
ये फैशन का जाल
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