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"मन वृन्दावन / अनन्या गौड़" के अवतरणों में अंतर

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13:02, 16 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

सरल प्रेम जो महके तो मन वृन्दावन हो जाए
बरसे नेह की बरखा यह जग सावन हो जाए

बसा लो तुम हृदय में, यदि कृष्ण-सा मिले कोई
 यह मन तुम्हारा राधिका सम पावन हो जाए

 समझ लो बात अनकही, उनके भी मन की तुम
चहके फूलों की क्यारी, उपवन आँगन हो जाए

पहचान लें पर-पीर, जग होगा दुखों से दूर
 बिखरेगी ख़ुशी हर ओर जहाँ मनभावन हो जाए