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"गरीब के आह / मथुरा प्रसाद 'नवीन'" के अवतरणों में अंतर

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15:03, 24 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

के जानऽ है कि
केखने धरती डोल जा हे?
जब गरीब के
काया कँहरऽ है,
तब परकिरती
हल्ला बोल दे है
तब झोपड़ी रह जा है
ऊँचा ऊँचा महल ढ़ह जा है
देखो ने रूस,
महल सब ढ़ह गेलै
रह गेलै फूस
गरीब आहऽ हे
लेकिन दुस्मनो के घर नै ढ़ाहऽ हे
गरीब तो समझ गेलै हे
भाग आउ भगवान में बझ गेले हे।