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"कजली / 58 / प्रेमघन" के अवतरणों में अंतर

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दुनमुनियाँ की कजली
लोय

"पेठियन के ठैय्याँ भुय्याँ धरम तोहार लोय"-की लय

धावन लागे बादरवा मचावन लागे सोर मोर॥
मिले मोरिनी संग कलोलैं नाचैं चारो ओर मोर।
बाढ़न लागी पीर काम की जोबन कीनो जोर मोर॥
लागै नाहीं जिया सखी री बिना मिले चितचोर मोर।
बालम बसे बिदेस प्रेमघन भूले प्रेम अथोर मोर॥104॥