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"नेता को छूट / बालकृष्ण गर्ग" के अवतरणों में अंतर

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गदहा नेता लगा रेंकने
तो बोलो यों ऊँट –
‘कर जनता से वादे, कब तक
बोलोगे तुम झूठ?’
गदहा बोला –‘इतना भी तू
नहीं जानता ठूँठ!
फ्री –इस्टाइल ‘झूठ बोलने
की नेता को छूट।‘
     [शोध-दिशा, अप्रैल-जून 2006]