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|रचनाकार=सलेम जुबरान|अनुवादक=अनिल जनविजय|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>मैं एक अजनबी हूँ , सफ़द!
और तुम भी
मुझे देख मुस्कराते हैं मकान
पर उनके निवासी
मुझे बाहर फेंक देते हैं
क्यों घूम रहे हो तुम
ओ अरब ! क्यों ?
अब क्या कोई उत्तर नहीं देगा
तुम्हारे अभिवादन का
तुम्हारे सम्बन्धी
जो कभी रहते थे यहाँ
उड़ गए न जाने कहाँ
और अब मेरे होंठों पर शोकगीत हैं
मेरी आँखों में है एक शेर का अपमान
प्रिय सफ़द !
विदा !
विदा !