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एक बार घनश्यामजू, ऐसा करो प्रबन्ध | एक बार घनश्यामजू, ऐसा करो प्रबन्ध |
16:17, 14 जून 2018 के समय का अवतरण
एक बार घनश्यामजू, ऐसा करो प्रबन्ध
जग के माया मोह से, टूट जाय सम्बन्ध।
रहे नयन के सामने, सिर्फ़ तुम्हारा रूप
हममें तुममें आज से, हो यह ही अनुबंध।।
श्याम सलोने आज कुछ, ऐसा करो विचार
इस जगती पर नित्य ही, हो सद्धर्म प्रचार।
अपने अपने देश मे, सुखी रहें सब लोग
वसुधा एक कुटुंब का, ले ले फिर आकार।।
धरा कह रही है गगन कह रहा है
बहारों में हँसता चमन कह रहा है ।
उजड़ने न पाये ये फूलों का गुलशन
यही देश का हर सुमन कह रहा है।।
जिन्हें अपना समझते हो तुम्हारा मान ले लेंगे
तुम्हें भड़का रहे हैं जो सभी सम्मान ले लेंगे।
न मरने के लिये उन की कोई औलाद आयेगी
तुम्हें रुसवा करेंगे और तुम्हारी जान ले लेंगे।।
जिस धरती पर जन्म लिया उस से ही हो बेजार रहे
धरती माँ के सीने में हो ख़ंजर स्वयं उतार रहे।
जान हथेली पर रख कर जो हैं रक्षा करने आये
शर्म करो कुछ तुम तो उन को ही हो पत्थर मार रहे।।