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कर रहा मन कामनाएँ
व्यर्थ की संकल्पनाएँ॥
भूल कर दुख दर्द सारे
आज आओ मुस्कुरायें॥
जो किये संकल्प हमने
क्या उन्हें अब भूल जायें॥
गोद में ले सत्य शिशु को
प्रेम से झूला झुलायें॥
इंद्र-धनु में बाँध डोरी
तीर किरणों के चलायें॥
प्यार गारे में मिला कर
एक घर नूतन बनायें॥
सेज पुतली की बिछाकर
साँवरे तुम को सुलायें॥