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"चोरगली में / अरुण हरलीवाल" के अवतरणों में अंतर

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पुनियाँ के चाननी में रँगल,
 
पुनियाँ के चाननी में रँगल,
 
केकरो नेह के निसानी!
 
केकरो नेह के निसानी!
 
देखऽ ही
 
 
कहाँ तलक,
 
कते कदम
 
चलऽऽ हे
 
साथ कउन;
 
देखऽ ही।
 
 
लहके जग,
 
छतरी तब
 
रखऽऽ हे
 
माथ कउन;
 
देखऽ ही।
 
 
राह चले,
 
रार करे;
 
मारऽ हे
 
लात कउन
 
देखऽ ही।
 
 
मरहम-सन,
 
सरगम-सन
 
करऽऽ हे
 
बात कउन;
 
देखऽ ही।
 
 
काँट चुभे,
 
चोट लगे...
 
थमऽऽ हे
 
हाथ कउन;
 
देखऽ ही।
 
 
देके बचन
 
जा हे मुकर
 
खींसऽ हे
 
दाँत कउन;
 
देखऽ ही।
 
 
दूर-दूर,
 
बाउजूद
 
रहऽऽ हे
 
साथ कउन;
 
देखऽ ही।
 
 
तोहर निठुरपना
 
 
मेह
 
तोहर नेह के
 
ऊ घड़ी
 
काहे न बरसऽ हे,
 
जउन घड़ी जान हमर
 
बून-बून लऽ तरसऽ हे।
 
समय जब ठँूस दे हे
 
दिल-दिमाग-देह में
 
लह-लह अँगार,
 
इआर!
 
दुर्लभ हो जा हे
 
काहे तब तोहर दीदार?
 
आँख हमर,
 
हांेठ हमर,
 
कंठ हमर,
 
कान हमर...
 
पोरे-पोर देह के, रोमे-रोम देह के
 
रेगिस्तान के दुपहरिया-सन
 
जरे जब लगऽ हे,
 
सच्चो, तोहर निठुरपना
 
खले बहुत लगऽ हे।
 
 
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12:11, 2 अगस्त 2018 के समय का अवतरण

अन्हरिया रात में
अकेले चलइत
डर, बहुत डर
लग रहल हे हमरा...
जेब इया जान लगि नइँ,
बलिक
ई छोट-मुट अँगूठी लगि।

ई चोरगली में
आज कोय छीन नइँ ले
हमरा से...
पुनियाँ के चाननी में रँगल,
केकरो नेह के निसानी!