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"जिनिगी के रंग / रामरक्षा मिश्र विमल" के अवतरणों में अंतर
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1
उहाँ का रोज
गवार्इंले जिनिगी
जिये खातिर।
2
जिये के चाहीं
जिनिगी अमिरित
पिये के चाहीं।
3
जियल ठीक
जहरो जिनिगी के
पियल ठीक।
4
मुसकरा के
जियेला जिंदादिल
हर पल के।
5
जीयत चलीं
बहार पतझड़
लागले रही।
6
टुटबे करी
जिनिगी खेलौना ह
कबो ना कबो।
7
जागीं जी जागीं
कब तक सूतबि
जिनिगी छोट।
8
काटत बानी
हर पल कसहूँ
जीये खातिर।
9
ढोवऽ मत
पहाड़ का माफिक
जिनिगी हटे।
10
सासु भइली
गवनहरी बहू
भर जिनिगी।
11
जीती भा हारीं
बाकी खेलीं खेलाईं
ईहे जिनिगी।
12
जिनिगी माने
ए कोठिला के धान
ओ कोठिला में।
13
जिनिगी माने
कापी पेन सियाही
चलत रहीं।