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"इच्छा / मनमोहन" के अवतरणों में अंतर

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एक ऐसी स्वच्छ सुबह मैं जागूँ  
 
एक ऐसी स्वच्छ सुबह मैं जागूँ  
जब सब कुछ याद रह जाय
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जब सब कुछ याद रह जाए
  
और बहुत कुछ भूल जाय
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और बहुत कुछ भूल जाए
जो फालतू है
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जो फ़ालतू है
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21:06, 5 अक्टूबर 2018 के समय का अवतरण

एक ऐसी स्वच्छ सुबह मैं जागूँ
जब सब कुछ याद रह जाए

और बहुत कुछ भूल जाए
जो फ़ालतू है