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"नीम तले / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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22:47, 20 जनवरी 2019 का अवतरण
नीम तले
रचनाकार | 'सज्जन' धर्मेन्द्र |
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प्रकाशक | लोकोदय प्रकाशन, लखनऊ |
वर्ष | 2018 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | नवगीत संग्रह |
विधा | नवगीत |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध | इस संग्रह को लोकोदय नवलेखन सम्मान 2015 दिया गया है |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- पत्थर-दिल पूँजी के दिल पर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- पैसा, ख़तरा, ख़ून हमारा / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- ब्राह्मणवाद हँसा / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- झूठ का कुहासा / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- श्री कनेर का मन / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- पूँजी के उत्तर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- एक धुरी पर नाच रहा पंखा / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- भौंक रहे कुत्ते / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- काले-काले घोड़े / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- पूँजी के काले खातों में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- समय की कुल्हाड़ी / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- ये दुनिया है भूलभुलैया / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- नीम तले (नवगीत) / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- चंचल नदी / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- बस प्यार तुम्हारा / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- समाचार है अद्भुत / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- आसमान के पार स्वर्ग है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- टेसू के फूलों के भारी हैं पाँव / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- यंत्रों के जंगल में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- हरसिंगार हुआ जीवन / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- शब्द-माफ़िया / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- काँपता सा वर्ष नूतन / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- कृष्णकाय सड़कों पर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- इस बार जलाएँ दीप / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- दिन भर के भूखे को जैसे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- रुक गई बहती नदी / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- माली कैसे सह पाता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- सेवा के कुछ फूलों में हम / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- उत्सव का मौसम / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- खामखा संबंध मत दो / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- भीड़ भरे इस चौराहे पर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- कब सीखा पीपल ने भेदभाव करना / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- मेरे जितने भी निन्दक हैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- अंधा धर्म लिए फिरता है हाथों में बंदूक / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- वो कमल था / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- जेठ में जब लू चले / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- कंकरीट के जंगल में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- बैकुंठवासी श्याम / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- सूरज रे जलते रहना / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- गंगे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- आज सूरज ने बताया / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- मैंने ईश्वर को मंदिर में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- बहुत बड़ा परिवार मिला / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- सड़कों पर बेच रही / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- दिल में अंगार जले / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- फिर आया घर घर में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- नव वर्ष ऐसा हो / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- सब में मिट्टी है भारत की / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- विश्व प्रकाशित हो जाता / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- देवी तुम जाओ मंदिर में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- शर्मीली फ़ाइल / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- ख़बर बेख़बर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- रंग से भरे सुगंध से तरे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- पूज्य कमल जी / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- हरे-भरे पेड़ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- मेघ श्वेत-श्याम कह रहे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- बूँद-बूँद बरसो / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- अवकलन, समाकलन / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- मेरा चाँद आज आधा है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- पलकों ने चुम्बन के गीत सुने / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- मेरी नज़रें तुमको छूतीं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- बिना तुम्हारे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- तुम नहीं आये / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- प्रेम-गीत ऐसा लिख पाऊँगा / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- दीवाली तेरी यादों की / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
- हमसे कुछ दूर ही रहना / 'सज्जन' धर्मेन्द्र