भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जिन्दगी दो चार दिन / मृदुला झा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृदुला झा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) छो (Rahul Shivay ने जिन्दगी दो चार दिनए / मृदुला झा पृष्ठ जिन्दगी दो चार दिन / मृदुला झा पर स्थानांतरित किया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:18, 4 मई 2019 के समय का अवतरण
प्यार के हकदार दिन।
है सियासत का ये फन,
बन गए व्यापार दिन।
वहशियों के दंश को,
रो रहा बेजार दिन।
ज़िन्दगी की नाव का,
बन गया पतवार दिन।
सच का दामन थामना,
चाहता हर बार दिन।
गुरुजनों के नेह का,
मानता आभार दिन।
प्यार जब रुखसत हुआ,
हो गया दुश्वार दिन।