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"होम्यो कविता: नक्स वोमिका / मनोज झा" के अवतरणों में अंतर
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रक्त पित्त की हो प्रधानता, चिड़चिड़ा आलसी और क्रोधी। | रक्त पित्त की हो प्रधानता, चिड़चिड़ा आलसी और क्रोधी। | ||
खाँसी से हो पेरु दर्द तो नक्स माँगता है रोगी॥ | खाँसी से हो पेरु दर्द तो नक्स माँगता है रोगी॥ | ||
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15:39, 23 जुलाई 2019 का अवतरण
भोजन, सुबह या धुम्रपान से मिचली और वमन हो।
बार-बार होता पेशाब और उसके साथ जलन हो॥
बार बार जाता पाखाना पर वह चैन नहीं पाता।
कमर पीठ की दर्द के कारण करवट बदल नहीं पाता॥
वह ज्वर की तीनों स्थिति में चादर ओढे रहता है।
छींक और पतली सर्दी संग नाक बंद भी कहता है॥
भोजन या ठँढे पानी से दाँत दर्द बढ जाता है।
सड़ी गंध तीता पानी से मुँह हरदम भर आता है॥
अधिक दिनों तक एम-सी हो जल्दी-जल्दी ज़्यादा ज्यादा।
दाग पकड़ता है साड़ी में बदबूदार प्रदर सादा॥
रक्त पित्त की हो प्रधानता, चिड़चिड़ा आलसी और क्रोधी।
खाँसी से हो पेरु दर्द तो नक्स माँगता है रोगी॥