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"नक्षत्र नाचते हैं / सविता सिंह" के अवतरणों में अंतर
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18:12, 5 अगस्त 2019 के समय का अवतरण
हमारी आपस की दूरियों में ही
प्रेम निवास करता है आजकल
सत्य ज्यूँ कविता में
ये आंसू क्यों तुम्हारे
यह कोई आखिरी बातचीत नहीं हमारी
हम मिलेंगें ही जब सब कुछ समाप्त हो चुका होगा
इस पृथ्वी पर सारा जीवन
मिलना एक उम्मीद है
जो बची रहती है चलाती
इस सौर-मण्डल को
हमारी इस दूरी के बीच ही तो
सारे नक्षत्र नाचते हैं
हमें इन्हें साथ- साथ देखना चाहिए
हम अभी जहाँ भी हैं
वहीँ से ।