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"सावन के सहनइया / मगही" के अवतरणों में अंतर

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सावन के सहनइया भदोइया के किचकिच हे,  
 
सावन के सहनइया भदोइया के किचकिच हे,  
 
सुगा-सुगइया के पेट, वेदन कोई न जानये हे।  
 
सुगा-सुगइया के पेट, वेदन कोई न जानये हे।  

08:07, 20 अगस्त 2008 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सावन के सहनइया भदोइया के किचकिच हे,
सुगा-सुगइया के पेट, वेदन कोई न जानये हे।

सुगा-सुगइया के पेट, कोइली दुःख जानये हे,
एतना वचन जब सुनलन, सुनहूँ न पयलन हे।

पकी दिहले हथवा कुदारी बबूर तर हे,
डाँड़ मोरा फाटहे करइलो जाके, ओटियो चिल्हकि मारे हे।

राजा का कहूँ दिलवा के बात, धरती अन्हार लागे हे।