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<poem>
झुकी नज़रें कहाँ खोईं बताओ तो।
तुम अपना हाले-दिल हमको सुनाओ तो।
लिपट जायेंगे पैरों से तुम्हारे भी,
हमें हमराज़ तुम अपना बनाओ तो।
 
सज़ा जो तुम करो तज्वीज़ वो कम है,
हमें आखिर सज़ा कोई सुनाओ तो।
 
मुसलसल हाथ चूमेंगे तुम्हारे हम,
हमारे वास्ते मँहदी रचाओ तो।
 
‘कन्हाई’ हम बनेंगे ‘नूर’ हस्ती में,
मगर ‘राधा’ हमें बनकर दिखाओ तो।
</poem>
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