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"इबादत मुसलसल मैं करता रहूँगा / हरिराज सिंह 'नूर'" के अवतरणों में अंतर
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18:47, 29 अक्टूबर 2019 के समय का अवतरण
इबादत मुसलसल मैं करता रहूँगा।
तिरे तेवरों से भी डरता रहूँगा।
वज़ाहत की कोई ज़रूरत कहाँ है,
तुम्हें देखकर मैं सँवरता रहूँगा।
वकालत तो मेरी करेगा न कोई,
मगर आग ख़ुद में मैं भरता रहूँगा।
सज़ा काटकर मैं गुनाहों की अपने,
नज़र में ख़ुद अपनी निखरता रहूँगा।
फ़ज़ीहत न होगी कभी ‘नूर’ मेरी,
जो रुस्वाइयों से मैं डरता रहूँगा।