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आदमी-औरत / स्वदेश भारती
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14:28, 4 नवम्बर 2019
अभिराम स्वप्न जागते हैं
आदमी ने
कहा—
कहा —
आओ चलें, आगे और आगेऔरत ने
कहा—
कहा —
आह ! मर्द क्यों नहीं समझ पाते औरत के
अन्तस में धधकते अँगारे, अन्तर-निहित रहस्य, कामनाएँ
और उनके दायरे ।
अनिल जनविजय
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