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"लोकतन्त्र में / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर

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कोई दोष नहीं दिया जा सकता<br />
 
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अपनी ही चुनी हुई सरकार को<br />
 
अपनी ही चुनी हुई सरकार को<br />
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पुस्तकें होती हैं ज्ञान नहीं<br />
 
पुस्तकें होती हैं ज्ञान नहीं<br />
 
शब्द होते हैं भाव नहीं<br />
 
शब्द होते हैं भाव नहीं<br />
योजनाएं होती हैं प्रतिबध्दता नहीं<br />
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योजनाएँ होती हैं प्रतिबध्दता नहीं<br />
 
शरीर होता है आत्मा नहीं<br />
 
शरीर होता है आत्मा नहीं<br />
 
मुखौटे होते हैं चेहरा नहीं<br />
 
मुखौटे होते हैं चेहरा नहीं<br />
आंखें होती हैं आंसू नहीं<br />
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आँखें होती हैं आँसू नहीं<br />
बस मौत के आंकडे होते हैं<br />
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बस, मौत के आँकडे होते हैं<br />
 
मौत की भयावहता नहीं<br />
 
मौत की भयावहता नहीं<br />
  

23:36, 13 सितम्बर 2008 का अवतरण

कोई दोष नहीं दिया जा सकता
अपनी ही चुनी हुई सरकार को

सरकार के पास
धर्म होता है अध्यात्म नहीं
पुस्तकें होती हैं ज्ञान नहीं
शब्द होते हैं भाव नहीं
योजनाएँ होती हैं प्रतिबध्दता नहीं
शरीर होता है आत्मा नहीं
मुखौटे होते हैं चेहरा नहीं
आँखें होती हैं आँसू नहीं
बस, मौत के आँकडे होते हैं
मौत की भयावहता नहीं

सब कुछ होते हुए
कुछ भी नहीं होता
सरकार के पास !