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|रचनाकार=नोमान शौक़
 
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कोई दोष नहीं दिया जा सकता<br />
 
अपनी ही चुनी हुई सरकार को<br />
 
 
सरकार के पास<br />
 
धर्म होता है अध्यात्म नहीं<br />
 
पुस्तकें होती हैं ज्ञान नहीं<br />
 
शब्द होते हैं भाव नहीं<br />
 
योजनाएँ होती हैं प्रतिबध्दता नहीं<br />
 
शरीर होता है आत्मा नहीं<br />
 
मुखौटे होते हैं चेहरा नहीं<br />
 
आँखें होती हैं आँसू नहीं<br />
 
बस, मौत के आँकडे होते हैं<br />
 
मौत की भयावहता नहीं<br />
 
 
सब कुछ होते हुए<br />
 
कुछ भी नहीं होता<br />
 
सरकार के पास !<br />
 

23:37, 13 सितम्बर 2008 का अवतरण