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"यातना / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर

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बड़ी नहीं होती<br />
 
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कोई यातना ।
 
कोई यातना ।

00:14, 15 सितम्बर 2008 का अवतरण

बुझती हुई सिगरेट
देर तक दबी रहे उंगलियों में
तो जला डालती है
स्पर्श की संवेदना

मृत शरीर
कितने ही प्रिय व्यक्ति का क्यों न हो
बदबू देने लगता है
थोड़े समय बाद

किसी टूटे हुए रिश्ते को
अन्तिम साँस तक संभाल कर
जीने की चाह से
बड़ी नहीं होती
कोई यातना ।