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और मेरा अगर कोई शत्रु है तो वह तुममें ही छिपा हुआ है
माफ़ करना कि इन दिनों की कोई काट नहीं है
जीवितों के भीतर जो डगमगाती-सी रोंशनी रौशनी दिखती थी
वह बुझ रही है
और मृतक बहुत चाहते हुए भी कुछ कर नहीं पाते
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