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समय नहीं है / मंगलेश डबराल
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07:53, 20 जून 2020
और मेरा अगर कोई शत्रु है तो वह तुममें ही छिपा हुआ है
माफ़ करना कि इन दिनों की कोई काट नहीं है
जीवितों के भीतर जो डगमगाती-सी
रोंशनी
रौशनी
दिखती थी
वह बुझ रही है
और मृतक बहुत चाहते हुए भी कुछ कर नहीं पाते
Abhishek Amber
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