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उतरन-सा / अशोक शाह
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16:44, 7 अगस्त 2020
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<poem>
छाया गया सन्नाटा
पसरा अकेलापन
ऊब है घनी हुई
उदासी अधिक विरल
उतरन-सा लगता है
यह समय
अभी अभी गया है कोई
इसे पहन
</poem>
वीरबाला
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