Changes

उतरन-सा / अशोक शाह

282 bytes added, 16:44, 7 अगस्त 2020
{{KKCatKavita}}
<poem>
छाया गया सन्नाटा
पसरा अकेलापन
 
ऊब है घनी हुई
उदासी अधिक विरल
 
उतरन-सा लगता है
यह समय
अभी अभी गया है कोई
इसे पहन
</poem>