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"रास्ते / आत्मा रंजन" के अवतरणों में अंतर

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डिगे भी हैं  
 
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लड़खड़ाई भी
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लड़खड़ाए भी  
 
चोटें भी खाई कितनी ही  
 
चोटें भी खाई कितनी ही  
 
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पगडंडियां गवाह हैं  
पगड़ंडियां गवाह हैं  
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कुदलियों, गैंतियों  
कुदालियों, गैंतियों या
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खुदाई मशीनों ने नहीं  
डाईनामाईट  ने नहीं  
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कदमों ने ही बनाए हैं -
कदमों ने ही बनाए हैं रास्ते।
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रास्ते! </poem>
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15:25, 20 अगस्त 2020 के समय का अवतरण

डिगे भी हैं
लड़खड़ाए भी
चोटें भी खाई कितनी ही
पगडंडियां गवाह हैं
कुदलियों, गैंतियों
खुदाई मशीनों ने नहीं
कदमों ने ही बनाए हैं -
रास्ते!