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रघुनाथ शाण्डिल्य
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जन्म | 1 जनवरी 1922 |
---|---|
निधन | 6 मार्च 1977 |
उपनाम | प. रघुनाथ फिरोजपुरिया |
जन्म स्थान | गाँव- फिरोजपुर,
तह- खेकड़ा, जिला- मेरठ, उतरप्रदेश (भारत) |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
टन बी टन उपाधि से नवाजा गया जिसके वे एकल प्राप्तकर्ता है | |
जीवन परिचय | |
रघुनाथ शाण्डिल्य / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
चुनौतीपूर्ण रचना
काव्य विविधा
- मोहमाया ममता नै मार, मन मजहब की माला रटले / प. रघुनाथ
- संशय संसार भरे म्य, करके उत्पात चलगे / प. रघुनाथ
- पांच तत्व का बना पुतला, आग आकाश पवन पृथ्वी जल / प. रघुनाथ
- नाव जल में पड़ी, माया सन्मुख लड़ी / प. रघुनाथ
- फुर्कत में जो खामोश हुये, पलकों से इशारा करते है / प. रघुनाथ
- दर्द मेरे दिल में था, और पास में तबीब था / प. रघुनाथ
- सब मित्रों को ॐ नमस्ते, नारा सीता राम मेरा / प. रघुनाथ
- जगत में है पैसे का खेल, पैसा यारा पैसा प्यारा / प. रघुनाथ
- आज लपेटों सारे झंडें, और धरदो एक कोने में / प. रघुनाथ
- अपना मानस अपना हो सै पास रहो चाहे न्यारा / प. रघुनाथ
- हे भगवान! बचाले जान, ये कैसा थाना है / प. रघुनाथ
- ख़त खुश होकर लिखती हूँ, न्यूं पिया आपको / प. रघुनाथ
सांग: कृष्ण जन्म - प. रघुनाथ
- राधेश्याम - लेख भागवत सुखसागर का / प.रघुनाथ
- मिलके बोले देवधुनी, नभ गूंज उठा किलकारों से / प.रघुनाथ
- निर्दोषी है बहन तेरी, भाई मनै मारै मतन्या / प.रघुनाथ
- ना बात समझ में आती, अब भय में भर गयी छाती / प.रघुनाथ
- कुछ मेरी भी सुनो तो, कहूँ तंत निकालकर / प.रघुनाथ
- हो कंस! तेरा भ्रम मिटाऊं मैं / प.रघुनाथ
- दौड़ - चमन में बुलबुल चहकती, तो फूल में भौंरा गाता है / प.रघुनाथ
- ले गोदी भुजा पसार, करके भांजे को त्यार / प.रघुनाथ
- सरड़ा - अपने मन में न्यूं सोच लिया हैं / प.रघुनाथ
- जकड़ी - बोली बेटे को गोदी ले / प.रघुनाथ
- तेरे हित की बात आज, मैं कंस बताऊँ खोल / प.रघुनाथ
- बुझती कोन्या आग पेट की, ममता चाले करगी / प.रघुनाथ
सांग: सत्यवादी हरिश्चंद्र - प. रघुनाथ
- हम कथा सुनाते है, सतवादी हरिश्चंद्र दानी की / प.रघुनाथ
- कोई वर्दा ले लो मोल, दे दियो सच्चा सोना तोल / प.रघुनाथ
- कांशी के बाजार में, फिरता हूँ लाचार / प.रघुनाथ
सांग: नल~दमयंती - प. रघुनाथ
- खिलारी नल को, कलजुग खेल सिखाता / प.रघुनाथ
- ला दे चौपड़ सार, देर मत करिये / प.रघुनाथ
- जिस घर में नहीं सुनाई, बात है बेकार पिया / प.रघुनाथ
सांग: द्रौपदी चीरहरण - प. रघुनाथ
- मरा हुआ जीवते ने, मारण वाला कौन / प.रघुनाथ
- दुशासन तुझे सुनाऊंगी, दुर्वाषा का वरदान / प.रघुनाथ
- गंधारी का दूध लजा दिया, चिनी चिनाई ढाहदी / प.रघुनाथ
- रात मेरे सुपने में, बेटा चाला हो गया / प.रघुनाथ
- दिल के बैन, सुन नहीं चैन, मेरे फुट्टे नैन / प.रघुनाथ
- भुजा के बल से राज करेंगे, तेग सै ले सरदारी / प.रघुनाथ
- बेअकली नै पांचों भाई, भूखे नंगे कर राखे / प.रघुनाथ
- तेरा लगे जेठ, चरणों में लेट, तूं हो चुपकी मत बोल / प.रघुनाथ
- निति और मर्यादा, नेम तोड़ने का पाप है / प.रघुनाथ