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15:22, 13 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण
जब दादी कहानी सुनाती
मैं दादी की गोद में लेटती
हर थोड़ी देर में ‘हम्म्’ बोलती
पूरी कहानी खुली आँखों से सुनती
कहानी : खोज का ज़रिया — ख़ुशी की खोज ।
अब मैं कहानी सुना रही ।
दादी गोद में नहीं ।
दादी ‘हम्म्’ नहीं बोल रही ।
दादी की आँखें बन्द हैं ।
कहानी : खोज का ज़रिया — दादी की खोज ।