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प्यार का भी कोर्इ कोई कारण होता है?सुगंध सुगन्ध की भी कोर्इ कोई जड़ होती है?
सच का कोई हो ना हो
झूठ कभी बेमकसद नहीं होता!
तेरे नीले पहाड़ों के कारण नहीं
न नीले जल के लियेलिए
यदि ये बूढ़ी माँ के बालों जैसे
गहरे रंगे भी होते
तब भी मैं तुझको प्यार करता
इन दौलतों के खजाने
मेरे लिये लिए तो नहीं
प्यार का कोर्इ कोई कारण नहीं होता
झूठ कभी बेमकसद नहीं होता
खजानों के सांप साँप तेरे गीत गाते हैंतुझे सोने की चिड़िया कहते हैं.
</poem>
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