भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दोहे / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
{{KKCatGhazal}}
 
{{KKCatGhazal}}
 
<poem>
 
<poem>
 
 
 
जीवन भर भटका किए, खुली न मन की गाँठ
 
जीवन भर भटका किए, खुली न मन की गाँठ
 
उसका रस्ता छोड़कर, देखी उसकी बाट
 
उसका रस्ता छोड़कर, देखी उसकी बाट

19:17, 11 अक्टूबर 2020 के समय का अवतरण

जीवन भर भटका किए, खुली न मन की गाँठ
उसका रस्ता छोड़कर, देखी उसकी बाट