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धुँधलका / फ़िराक़ गोरखपुरी

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[[Category:कविता]]
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१.शाम
ये शाम इक आईना-ए-नीलगूं,ये नम,ये महक
धुआँ-धुआँ सी ज़मीं है घुला-घुला सा फ़लक
२.रात का पहला पहर
ये चाँदनी,ये हवाएँ,ये शाखे-गुल की लचक
तेरे ख्याल की पड़ती हुई किरन की खनक
३. रात गये
ये रात!छनती हवाओं की सोंधी-सोंधी महक
दिलों में आईना-दर-आईना सुहानी झलक
४.आधी रात से कुछ पहले
ये छब,ये रूप,ये जीवन,ये सज,ये धज,ये लहक
ये मस्तियाँ कि मए-साफ़-ओ-दुर्द सब बेबूद
खिजल हो ला'ले-यमन उज़्व-उज़्व की वो डलक
</poem>
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