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गोरी धूप चढ़ी / कुँअर बेचैन
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12:44, 7 अक्टूबर 2008
धूप का स्वर्णिम कंगन मौल गया।
'''''-- यह कविता [[Dr.Bhawna Kunwar]] द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।<br><br>'''''
Pratishtha
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