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"उड़ान शेष है / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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'''कुछ ही डग भरे, अभी तो उड़ान शेष है।'''  
 
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प्रत्यक्ष युग ने देखा, अनुमान शेष है।  
 
प्रत्यक्ष युग ने देखा, अनुमान शेष है।  
 
  
 
जो बहा चले संग में, तुम पवन निराली।  
 
जो बहा चले संग में, तुम पवन निराली।  
 
सुगन्धित समीर का वह अभियान शेष है।  
 
सुगन्धित समीर का वह अभियान शेष है।  
 
  
 
रवि-रश्मि बाँध पाए, नहीं ऐसी गठरी।  
 
रवि-रश्मि बाँध पाए, नहीं ऐसी गठरी।  
 
सतरंगी इन्द्रधनुष का वितान शेष है।  
 
सतरंगी इन्द्रधनुष का वितान शेष है।  
 
  
 
सो ना सकोगे तुम भी, मैं न सो सकी तो।  
 
सो ना सकोगे तुम भी, मैं न सो सकी तो।  
 
अभी मेरा मानदेय,अनुदान शेष है।  
 
अभी मेरा मानदेय,अनुदान शेष है।  
 
  
 
संकल्पों की लेखनी अब नहीं थकेगी।  
 
संकल्पों की लेखनी अब नहीं थकेगी।  

20:24, 24 जनवरी 2021 के समय का अवतरण

कुछ ही डग भरे, अभी तो उड़ान शेष है।
प्रत्यक्ष युग ने देखा, अनुमान शेष है।

जो बहा चले संग में, तुम पवन निराली।
सुगन्धित समीर का वह अभियान शेष है।

रवि-रश्मि बाँध पाए, नहीं ऐसी गठरी।
सतरंगी इन्द्रधनुष का वितान शेष है।

सो ना सकोगे तुम भी, मैं न सो सकी तो।
अभी मेरा मानदेय,अनुदान शेष है।

संकल्पों की लेखनी अब नहीं थकेगी।
बंधन जो तोड़ दिए, विधि-विधान शेष है।