भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वे जो मातम नहीं जानते/ जहीर कुरैशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
<poem>
 
<poem>
 
 
वे जो मातम नहीं जानते
 
वे जो मातम नहीं जानते
 
आँख है नम, नहीं जानते
 
आँख है नम, नहीं जानते

23:11, 21 अप्रैल 2021 के समय का अवतरण

वे जो मातम नहीं जानते
आँख है नम, नहीं जानते

कल उन्हें कौन फहराएगा
ये भी परचम नहीं जानते

वे दिमागों के मजदूर हैं
वे परिश्रम नहीं जानते

इसलिए भी सुरक्षित हो तुम
कोई जोखम नहीं जानते !

ये विजेता का संसार है
अंधे अणुबम नहीं जानते

प्यार करने का निश्चित समय
मन के मौसम नहीं जानते

जन्मती है कहाँ रोशनी
आजतक तम नहीं जानते