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"चेतना जागी / कृष्ण शलभ" के अवतरणों में अंतर

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जो तिरस्कृत थे  
 
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वही सब खाते हैं  
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वही सब खास हैं  
 
अब सभी के मन
 
अब सभी के मन
 
सभी के पास हैं  
 
सभी के पास हैं  

21:45, 12 मई 2021 के समय का अवतरण

चेतना जागी
समय जागा

पारदर्शी हो रहे
परिदृश्य में सपने
कल तलक जो गैर थे
लगने लगे अपने

अर्धसत्यों का अन्धेरा
हार कर भागा
 
अब नहीं पड़तीं
सुनाई वर्जनाएँ
हर तरफ देतीं
दिखाई सर्जनाएँ

अब तो है निर्माण में
आगत बिना नागा
 
जो तिरस्कृत थे
वही सब खास हैं
अब सभी के मन
सभी के पास हैं

जुड़ गया फिर से अचानक
नेह का धागा