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"ज़िन्दगी भर / हरदीप कौर सन्धु" के अवतरणों में अंतर

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जब यादें हों पास
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याद- किशोरी
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मन खिड़की खोल
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बचपन- सहेली
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यादों में मिली
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थका ये मन
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ले यादों का तकिया
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यादों के रंग
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भिगोए न दामन
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भीगता मन
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कुछ पिघला
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जाग गईं सुधियाँ
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आँखें सजल
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तुम्हारी यादें
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दिए दिल के जख़्म
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कभी न भरें
 
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22:33, 27 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण

 
11
जिन्दगी भर
बन यादें मौसम
हैं आती –जाती
12
संदेशा पाया
इठलाती हवा में
तू याद आया
13
जीने का मज़ा
ढूँढ़ने जो निकले
यादों में पाया
14
पल में मिटे
जब यादें हों पास
रूह की प्यास
15
याद- किशोरी
मन खिड़की खोल
करे कलोल
16
मिसरी -डली
बचपन- सहेली
यादों में मिली
17
थका ये मन
ले यादों का तकिया
जी भर सोया
18
यादों के रंग
भिगोए न दामन
भीगता मन
19
कुछ पिघला
जाग गईं सुधियाँ
आँखें सजल
20
तुम्हारी यादें
दिए दिल के जख़्म
कभी न भरें