भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"खगनियाँ" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
|जन्मस्थान=ग्राम बासू, न्नाव, उत्तरप्रदेश | |जन्मस्थान=ग्राम बासू, न्नाव, उत्तरप्रदेश | ||
|मृत्यु= | |मृत्यु= | ||
− | |कृतियाँ=रीतिकालीन कवि। अपनी पहेलियों के लिए हिन्दी साहित्य में याद की जाती हैं। ज्योतिप्रसाद मिश्र ’निर्मल’ द्वारा सम्पादित ’स्त्री कविता संग्रह’ नामक पुस्तक में खगनियाँ की कई पहेलियाँ संकलित हैं। | + | |कृतियाँ=रीतिकालीन कवि। अपनी पहेलियों के लिए हिन्दी साहित्य में याद की जाती हैं। ज्योतिप्रसाद मिश्र ’निर्मल’ द्वारा सम्पादित ’स्त्री कविता संग्रह’ नामक पुस्तक (1940) में खगनियाँ की कई पहेलियाँ संकलित हैं। |
|विविध=आदिकालीन साहित्य में अगर अमीर खुसरो की पहेलियों का सरस शब्दजाल दिखाई देता है तो रीतिकाल में खगनियाँ ने अपनी क़लम का जादू दिखाया और पहेलियाँ बुझाईं। इनके जीवन के बारे में बहुत जानकारी तो नहीं मिलती, पर इनकी पहेलियों को शोधकर्ताओं ने संकलित किया है। | |विविध=आदिकालीन साहित्य में अगर अमीर खुसरो की पहेलियों का सरस शब्दजाल दिखाई देता है तो रीतिकाल में खगनियाँ ने अपनी क़लम का जादू दिखाया और पहेलियाँ बुझाईं। इनके जीवन के बारे में बहुत जानकारी तो नहीं मिलती, पर इनकी पहेलियों को शोधकर्ताओं ने संकलित किया है। | ||
|जीवनी=[[खगनियाँ / परिचय]] | |जीवनी=[[खगनियाँ / परिचय]] |
04:51, 15 नवम्बर 2021 का अवतरण
खगनियाँ
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | |
---|---|
जन्म स्थान | ग्राम बासू, न्नाव, उत्तरप्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
रीतिकालीन कवि। अपनी पहेलियों के लिए हिन्दी साहित्य में याद की जाती हैं। ज्योतिप्रसाद मिश्र ’निर्मल’ द्वारा सम्पादित ’स्त्री कविता संग्रह’ नामक पुस्तक (1940) में खगनियाँ की कई पहेलियाँ संकलित हैं। | |
विविध | |
आदिकालीन साहित्य में अगर अमीर खुसरो की पहेलियों का सरस शब्दजाल दिखाई देता है तो रीतिकाल में खगनियाँ ने अपनी क़लम का जादू दिखाया और पहेलियाँ बुझाईं। इनके जीवन के बारे में बहुत जानकारी तो नहीं मिलती, पर इनकी पहेलियों को शोधकर्ताओं ने संकलित किया है। | |
जीवन परिचय | |
खगनियाँ / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- आधा नर आधा मृगराज / खगनियाँ
- एक नार होती जब नंगी / खगनियाँ
- दोनों बहनें बड़ी अनोखी / खगनियाँ
- नारी देखी एक अनोखी / खगनियाँ
- पेट फटा रहता है सदा / खगनियाँ
- बागों में वह सदा सुहावै / खगनियाँ
- बान्ध गले में उसकी डोरी / खगनियाँ
- बासन खावै सदा समोद / खगनियाँ
- रहता है पीताम्बर कान्धे / खगनियाँ
- रहती अंगरेज़न के साथ / खगनियाँ
- लम्बी चौड़ी आँगुर चारि / खगनियाँ