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"पत्थरों में गोताखोरी-4 / वेणु गोपाल" के अवतरणों में अंतर

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20:08, 5 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

एक अदद फूल
पत्थरों के किनारे
रखता हुआ वह

प्रार्थना करता है

छूता है
पत्थरों की सतह
हाथ से
फिर माथे से

और
समुद्र में लेटा
उसका इन्तज़ार
करता ईश्वर
मुँह बाए
अचम्भा करता है

गोताख़ोर
पत्थरों में
उतर जाता है

फूल
वैसे ही
पड़ा रहता है

वह साक्षी है।


रचनाकाल : 18 मई 1980