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"पत्ते और भाव / सुभाष काक" के अवतरणों में अंतर

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20:18, 10 नवम्बर 2008 का अवतरण

के शब्द पत्ते
और मुस्कान
फूल हैं।

शब्दों से अन्य पेड़
बँधते हैं‚
पक्षी और तितलियाँ
सुनती हैं इन्हें।

हमारे भाव
पत्ते हैं
प्रफुल्लित हो जाते हैं कभी।

सिकुड़ते और मुर्झाते भी हैं
चिनार के लाल
पत्तों की तरह।

धरती पर गिरकर
समेटे जाते‚
सुलगाकर उनके अंगारों से
गर्मी मिलती है
अंजान लोगों को
ठिठुरती सरदी में।