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"याद रखना / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु" के अवतरणों में अंतर

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याद रखना ।
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बाँटने आता न कोई
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प्यार की पाती यहाँ,
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बाँटने आते सभी हैं
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दु:ख भरी थाती यहाँ ।
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नाम रिश्तों का रटें
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लेकर दुधारा
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याद रखना ।
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मुस्कान को सह लें भला
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कब, किसे मंज़ूर है?
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आँसुओं को कौन पोंछे ?
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लोग बेहद क्रूर हैं ।
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बन गए सम्बन्ध अब
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टूटा किनारा
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याद रखना ।
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तुम बढ़ोगे स्वर्ग अपना
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ढूँढ़ लोगे एक दिन,
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तुम झुकोगे नरक अपना
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खुद रचोगे एक दिन ।
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इस जनम को सजा लो
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न मिले दुबारा
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याद रखना ।
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फूल -कलियों से तुम्हारा
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महकता आज आँचल,
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उमड़ी है उर-गोमुख से
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सुधा की धार निर्मल ।
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चुनौती हर मोड़ पर
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सिन्धु-जल खारा
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याद रखना ।
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05:28, 20 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

भेड़ियों के बीच में
घर है तुम्हारा,
याद रखना ।
यहाँ पर मझधार हैं
साथी -सहारा
याद रखना ।
बाँटने आता न कोई
प्यार की पाती यहाँ,
बाँटने आते सभी हैं
दु:ख भरी थाती यहाँ ।
नाम रिश्तों का रटें
लेकर दुधारा
याद रखना ।
मुस्कान को सह लें भला
कब, किसे मंज़ूर है?
आँसुओं को कौन पोंछे ?
लोग बेहद क्रूर हैं ।
बन गए सम्बन्ध अब
टूटा किनारा
याद रखना ।
तुम बढ़ोगे स्वर्ग अपना
ढूँढ़ लोगे एक दिन,
तुम झुकोगे नरक अपना
खुद रचोगे एक दिन ।
इस जनम को सजा लो
न मिले दुबारा
याद रखना ।
फूल -कलियों से तुम्हारा
महकता आज आँचल,
उमड़ी है उर-गोमुख से
सुधा की धार निर्मल ।
चुनौती हर मोड़ पर
सिन्धु-जल खारा
याद रखना ।
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