भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रथम किरण / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह= }} <Poem> भोर की प्रथम किरण :फीकी : अन॔...)
 
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
प्रथम किरण
 
प्रथम किरण
 
:फीकी :
 
:फीकी :
अन॔जाने
+
अनजाने
 
जागी हो
 
जागी हो
 
याद
 
याद

13:52, 12 नवम्बर 2008 का अवतरण

भोर की
प्रथम किरण
फीकी :
अनजाने
जागी हो
याद
किसी की--

अपनी
मीठी
नीकी !
धीरे-धीरे
उदित
रवि का
ल्लाल-लाल
गोला
चौंक कहीं पर
छिपा
मुदित
बन-पाखी
बोला
दिन है
जब है
यह बहु-जन की :

प्रणति
लाल रवि
ओ जन-जीवन
लो यह
मेरी
सकल साधना
तन की
मन की--

वह बन-पाखी
जाने गरिमा
महिमा
मेरे छोटे
चेतन
छन की !