भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आई ऋतु नवल / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('आई ऋतु नवल डॉ. कविता भट्ट कली बुराँस अब नहीं है उदास...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
+ | |रचनाकार= कविता भट्ट | ||
+ | |संग्रह= | ||
+ | }} | ||
+ | [[Category:चोका]] | ||
+ | <poem> | ||
कली बुराँस | कली बुराँस | ||
पंक्ति 19: | पंक्ति 24: | ||
चपल है मुस्कान | चपल है मुस्कान | ||
ये दिव्यनाद | ये दिव्यनाद | ||
− | नयनों का संवाद | + | '''नयनों का संवाद |
अधर धरे | अधर धरे | ||
उन्मुक्त केश वरे | उन्मुक्त केश वरे | ||
पंक्ति 26: | पंक्ति 31: | ||
हुई विह्वल | हुई विह्वल | ||
इठलाती चंचल | इठलाती चंचल | ||
− | आई ऋतु | + | आई ऋतु नवल'''। |
-0- | -0- | ||
+ | </poem> |
05:29, 30 जनवरी 2023 का अवतरण
कली बुराँस
अब नहीं है उदास
आया वसंत
ठिठुरन का अंत
मन मगन
हिय है मधुवन
सुने रतियाँ
पिय की ही बतियाँ
मधु घोलती
कानों में बोलती
प्रेम-आलाप
सुखद पदचाप
स्फीत नयन
तन -मन अगन
अमिय पान
चपल है मुस्कान
ये दिव्यनाद
नयनों का संवाद
अधर धरे
उन्मुक्त केश वरे
तप्त कपोल
उदीप्त द्वार खोल
हुई विह्वल
इठलाती चंचल
आई ऋतु नवल।
-0-