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"मामूली लोग / संजय कुंदन" के अवतरणों में अंतर

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20:45, 13 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

वे साधारण लोग हैं
जो इतनी छोटी-छोटी लड़ाइयाँ लड़ते हैं
कि हम उन पर चर्चा करना भी
शायद पसन्द न करें
ख़बरों में उनका ज़िक्र तो नामुमकिन है
वे बस में सीट मिल जाने को भी
एक बड़ी सफ़लता मानते हैं
और समय से पहले घर पहुँच जाने को
उत्सव की तरह देखते हैं

विद्वानों, रसिकों !
आप नाराज़ होंगे
कि इतने साधारण तरीक़े से
साधारण लोगों पर कविता लिखने का
क्या मतलब है
मगर उन मामूली लोगों के लिए
कुछ भी नहीं है मामूली
वे समोसे को भी ख़ास चीज़ मानते हैं
और उसके स्वाद पर कई दिनों तक
बात करते रहते हैं
वैसे आप समोसे को मामूली समझने की
भूल न करें
किसी दिन इसी के कारण
गिर सकती है सरकार !