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"परम सुख / सुषमा गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

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तुम्हारे हाथों से खाई
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थोड़ी सूखी हुई रोटी ने
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आत्मा को जो परमसुख दिया
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सब चरम सुख
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उसी एक पल में
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आजू- बाजू बिखरे
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हम किस गुमान पर
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आज तलक इतरा रहे थे!
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मैंने एक मुस्कान
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दिल छोटा मत करो
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तुम्हारा होना
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थोड़ा और पास करता रहा है हमें
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10:07, 11 अप्रैल 2023 के समय का अवतरण

जंगल के उस छोर पर
तुम्हारे साथ
सूखे पत्तों के बीच बैठे हुए

बासी अखबार पर
रखकर
तुम्हारे हाथों से खाई
थोड़ी सूखी हुई रोटी ने
आत्मा को जो परमसुख दिया

देह के पाए
सब चरम सुख
उसी एक पल में
आजू- बाजू बिखरे
अचरज से पलकें झपकाते हुए
सोचने लगे

हम किस गुमान पर
आज तलक इतरा रहे थे!

मैंने एक मुस्कान
उन्हें देते हुए कहा था
दिल छोटा मत करो

 तुम्हारा होना
 थोड़ा और पास करता रहा है हमें
 इसलिए
 तुम्हारा भी शुक्रिया।

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