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"कितने फूल थे / विहाग वैभव" के अवतरणों में अंतर

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     एक.
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     '''एक'''
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कितने फूल थे  
 
कितने फूल थे  
 
जो तुम्हारे जूड़े के लिए तरसते रहे  
 
जो तुम्हारे जूड़े के लिए तरसते रहे  
 
और दूर कहीं पहाड़ी जंगलों में  
 
और दूर कहीं पहाड़ी जंगलों में  
लावारिस मारे गए  
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लावारिस मारे गए
                    दो.
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      '''दो'''
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कितने फूल थे  
 
कितने फूल थे  
 
जिन्हें तुम  
 
जिन्हें तुम  
सिर्फ छूकर तितली बना सकती थी।
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सिर्फ छूकर तितली बना सकती थी ।
                  तीन.
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    '''तीन'''
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फूल खिलते हैं
 
फूल खिलते हैं
 
प्रेमी फूलों को तोड़ ले जाते हैं
 
प्रेमी फूलों को तोड़ ले जाते हैं
फूल खुशी से खिलते हैं।
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फूल ख़ुशी से खिलते हैं ।
                  चार.
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    '''चार'''
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एक तुम थी  
 
एक तुम थी  
 
दूसरे रातरानी के फूल
 
दूसरे रातरानी के फूल
 
मैं मौत जैसी नींद में भी बता सकता था कि  
 
मैं मौत जैसी नींद में भी बता सकता था कि  
मेरे पास कौन है?
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मेरे पास कौन है ?
                  पाँच.
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    '''पाँच'''
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एक फूल की आड़ में  
 
एक फूल की आड़ में  
 
छिप जाते थे हत्यारे  
 
छिप जाते थे हत्यारे  
और कहते थे-
+
और कहते थे
कमल खिलेगा।
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कमल खिलेगा ।
                छह.
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    '''छह'''
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बहुत सारे फूल थे  
 
बहुत सारे फूल थे  
अलग अलग गंध थी  
+
अलग - अलग गन्ध थी  
अलग-अलग रूप थे  
+
अलग - अलग रूप थे  
 
पर एक फूल ने  
 
पर एक फूल ने  
दूसरे फूल से कभी नहीं कहा-
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दूसरे फूल से कभी नहीं कहा
तुम अछूत हो।
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तुम अछूत हो ।
                सात.
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जैसे-जैसे रात बीतती थी
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  '''सात'''
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जैसे - जैसे रात बीतती थी
 
तुम्हारी याद के फूल खिलते थे  
 
तुम्हारी याद के फूल खिलते थे  
 
और मेरा कमरा महक उठता था  
 
और मेरा कमरा महक उठता था  
पड़ोसी कहते थे- यह रातरानी है  
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पड़ोसी कहते थे यह रातरानी है  
मैं कहता था- नहीं, यह मेरी रानी है।
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मैं कहता था नहीं, यह मेरी रानी है ।
                आठ.
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उन आखिरी दिनों में  
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    '''आठ'''
जब तुम साथ-साथ रोती थीं
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और तकिए पर गिरते थे टप-टप आँसू  
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उन आख़िरी दिनों में  
मैं सोचता था-
+
जब तुम साथ - साथ रोती थीं
सुबह तक तकिए पर फूल खिलेंगे।
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और तकिये पर गिरते थे टप - टप आँसू  
                  नौ.
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मैं सोचता था
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सुबह तक तकिये पर फूल खिलेंगे ।
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    '''नौ'''
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जिन फूलों के नाम  
 
जिन फूलों के नाम  
 
हम नहीं जानते थे  
 
हम नहीं जानते थे  
 
उन्हें फूल कहते थे  
 
उन्हें फूल कहते थे  
सोचता था  
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सोचता था
काश, मनुष्यों के साथ भी ऐसा होता।
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काश ! मनुष्यों के साथ भी ऐसा होता ।
                  दस.
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तुम पुकार लो  
 
तुम पुकार लो  
 
तो अब भी लौट आऊँ  
 
तो अब भी लौट आऊँ  
 
प्यार से छू लो  
 
प्यार से छू लो  
तो बासी फूल भी महक उठते हैं।
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तो बासी फूल भी महक उठते हैं ।
 
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01:58, 22 मई 2023 के समय का अवतरण

     एक

कितने फूल थे
जो तुम्हारे जूड़े के लिए तरसते रहे
और दूर कहीं पहाड़ी जंगलों में
लावारिस मारे गए ।

      दो

कितने फूल थे
जिन्हें तुम
सिर्फ छूकर तितली बना सकती थी ।

     तीन
    
फूल खिलते हैं
प्रेमी फूलों को तोड़ ले जाते हैं
फूल ख़ुशी से खिलते हैं ।
 
    चार

एक तुम थी
दूसरे रातरानी के फूल
मैं मौत जैसी नींद में भी बता सकता था कि
मेरे पास कौन है ?

     पाँच

एक फूल की आड़ में
छिप जाते थे हत्यारे
और कहते थे —
कमल खिलेगा ।

    छह

बहुत सारे फूल थे
अलग - अलग गन्ध थी
अलग - अलग रूप थे
पर एक फूल ने
दूसरे फूल से कभी नहीं कहा —
तुम अछूत हो ।
 
   सात

जैसे - जैसे रात बीतती थी
तुम्हारी याद के फूल खिलते थे
और मेरा कमरा महक उठता था
पड़ोसी कहते थे — यह रातरानी है
मैं कहता था — नहीं, यह मेरी रानी है ।

     आठ

उन आख़िरी दिनों में
जब तुम साथ - साथ रोती थीं
और तकिये पर गिरते थे टप - टप आँसू
मैं सोचता था —
सुबह तक तकिये पर फूल खिलेंगे ।

    नौ

जिन फूलों के नाम
हम नहीं जानते थे
उन्हें फूल कहते थे
सोचता था —
काश ! मनुष्यों के साथ भी ऐसा होता ।
 
    दस

तुम पुकार लो
तो अब भी लौट आऊँ
प्यार से छू लो
तो बासी फूल भी महक उठते हैं ।