भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कीड़े / कमला दास / रंजना मिश्रा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमला दास |अनुवादक=रंजना मिश्रा |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 20: पंक्ति 20:
 
पर सोचा, मृत देह को क्या फर्क पड़ता है  
 
पर सोचा, मृत देह को क्या फर्क पड़ता है  
 
अगर कीड़े मुँह मारे तो !
 
अगर कीड़े मुँह मारे तो !
 
वह मासूम,
 
अपनी लालसा में
 
कितना किंकर्तव्यविमूढ़
 
  
 
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : रंजना मिश्र'''
 
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : रंजना मिश्र'''
 
</poem>
 
</poem>

16:04, 22 जून 2023 के समय का अवतरण

सूर्यास्त की बेला, नदी किनारे, कृष्ण ने
उससे अन्तिम बार प्रेम किया
और चले गए

उस रात अपने पति की बाहों में राधा
इतनी निस्पन्द थी कि उसके पति ने पूछा
क्या बात है ?
तुम्हें मेरे चुम्बन बुरे लग रहे हैं, प्रिये ?

और उसने कहा
नहीं, बिलकुल नहीं,
पर सोचा, मृत देह को क्या फर्क पड़ता है
अगर कीड़े मुँह मारे तो !

अँग्रेज़ी से अनुवाद : रंजना मिश्र