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"अनुगूँज अकेलेपन की / विचिस्लाफ़ कुप्रियानफ़ / दिविक रमेश" के अवतरणों में अंतर
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11:08, 19 जुलाई 2023 का अवतरण
हो सकता है प्यार एकतरफ़ा
निराधार भी हो सकता है, ईर्ष्यावश,
वफ़ादारी रह सकती है अनुत्तरित ।
पर विच्छेद
आपसी ही होता है हमेशा,
हमेशा आपसी ही होता है अकेलापन ।
किसी अकेले की
करुणाभरी आह का –
कहाँ हो तुम ?
और तुम ? तुम कहाँ हो ?
जवाब देती है
एक अनुगूँज सौम्य ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : दिविक रमेश