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16:35, 15 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

मैंने कहा
तुम तूफ़ान हो
तुम बिगड़ गई

मैंने कहा
तुम फूल हो
अपने ही सौन्दर्य बोझ से दब गई

मैंने कहा
तुम हवा हो
शरमाकर तुम्हारी नज़रें झुक गईं

मैंने कहा
मैं तुम्हें प्यार करता हूँ
और तुम्हारी बाहें खुल गईं
असीम सम्भावनाओं को पकड़ने के लिए,
पृथ्वी,समुद्र और आकाश की तरह ।