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उधर बुलंदी पे उड़ता हुआ धुआँ देखा / डी. एम. मिश्र
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14:11, 12 सितम्बर 2023
अपने दुश्मन में मैंने अपना मेहरबां देखा
ऐसे
हालात पे रोना
अय्याम में
भी
रोना
खूब आया मुझे
जब फटेहाल कभी अपना गिरेबां देखा
हज़ार मुश्किलें हों फिर भी
हमें तो मुश्किलों के बाद
मुस्कराना है
हसीन फूल को कांटों के दरमियां देखा
</poem>
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