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"र मात्र सास आयो / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर
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20:43, 17 जुलाई 2024 के समय का अवतरण
आफ्नै कोठाबाट, यो कस्तो बतास आयो
चुल्ठो खोल्यौ कि तिमीले, हावामा सुवास आयो
रात अँधेरी थियो, तर म बेग्लै देख्छु
घुम्टो खोल्यौ कि कसो, यो कस्तो प्रकाश आयो
फुल्दछ फूल किन, थाह थिएन मलाई
भित्रियौ मनमा तिमी, सर्वत्र मधुमास आयो
ओठ कमाई राख, तिमी डेग सम्हाली राख
मभन्दा दर्हो, गरी, मेरो वाहुपाश आयो
तिम्रो सौन्दर्य देख्दा, भुतुक्कै मरिसकेँथेँ
लजाई मुख छोप्यौ, र मात्र सास आयो
केही अनुभव छैन मलाई माया-प्रीतीको
तिमी पर्खिबस्याछ्यौ यो कत्रो बित्यास आयो
जुधाई झुकायौ आँखा, खै केके भो’ भित्रभित्रै
मलाई थाहै नदिई आँधीझैँ निश्वास आयो
दिन त ढलेकै थियो, निरस साँझ पनि सकियो
सुमन ! तेरो जीवनको रात एक खास आयो