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"धन्य प्रिया तुम जागीं / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

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धन्य प्रिया तुम जागीं  
 
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ना जाने दुख भरी रैन में
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कब तेरी अँखियाँ लागीं ...।
 
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20:44, 7 अगस्त 2024 के समय का अवतरण

धन्य प्रिया तुम जागीं
ना जाने दुखभरी रैन में कब तेरी अँखियाँ लागीं ।

जीवन नदिया, बैरी केवट, पार न कोई अपना
घाट पराया, देस बिराना, हाट-बाट सब सपना ।
क्या मन की, क्या तन की, किहनी अपनी अँसुअन पागी ।

दाना-पानी, ठौर-ठिकाना, कहाँ बसेरा अपना
निस दिन चलना, पल-पल जलना, नींद भई एक छलना ।
पाखी रूख न पाएँ, अँखियाँ बरस-बरस की जागीं ।

प्रेम न साँचा, शपथ न साँचा, साँच न संग हमारा
एक साँस का जीवन सारा, बिरथा का चौबारा ।
जीवन के इस पल फिर तुम क्यों जनम-जनम की लागीं ।

धन्य प्रिया तुम जागीं
ना जाने दुखभरी रैन में
कब तेरी अँखियाँ लागीं ...।